रविवार, 31 अगस्त 2008

जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम

जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम

कहीं तेरे नाम ,कहीं मेरे नाम ,कहीं और किसी के नाम

हर राही की अपनी राहे, हैं अपनी अलग पहचान

मंजिल अपनी ख़ुद ही चुनते, पर डगर बडी अनजान

खो जाती सारी पहचाने, जो किया कहीं विश्राम

कहीं तेरे नाम ,कहीं मेरे नाम ,कहीं और किसी के नाम

इन राहों में मिलते रहते,कुछ अपने कुछ अनजान

हर राही के आखों में सजे कुछ सपने कुछ अरमान

सपनों से सजी इन राहों में, कहीं सुबह हुयी कहीं शाम

कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम कहीं और किसी के नाम

vikram

बुधवार, 20 अगस्त 2008

दे पिला ये सुर्ख से रंग .............



दे पिला ये सुर्ख से रंग ,शाम के भर जाम में

वो न फिर से माँग बैठे , खूने दिल पैगाम में


जिन्दगी का हॆ वजू, जीने के इस अंदाज में

इक शमां बन कर जले, गर दूसरो की राह में

साज कोई लय नहीं हैं ,लय बसा हर साज में

हर नई सुबहो छिपी हैं ,इक गुजरती रात में

हैं मुझे भी देखना, अब इस सितम के दौर में

इस गमें-सागर में मिलता हैं सुकूँ किस छोर में


इम्तिहां की इन्तिहां के, हर हदों के पार में

मैं मिलूंगा फिर से उनसे, बस इसी हालत में


vikram

मंगलवार, 19 अगस्त 2008

अर्थ हीन.....

अर्थ हीन संवादों का सिलसिला
मै तोडना नही चाहता
शायद इसी बहाने
मै तुम्हे छोडना नही चाहता

विक्रम

सोमवार, 18 अगस्त 2008

आज चली कुछ.......................

आज चली कुछ ऎसी बातें
बातों पर हैं जाएँ बातें

हँसती हुयी सुनी हैं बातें
बहकी हुयी सुनी हैं बातें
बच्चो की क्या प्यारी बातें
इनकी बातें ,उनकी बातें
होती हैं कुछ अपनी बातें
दिल को छू जाती हैं बातें
आसूँ में कुछ डूबी बातें
क्यूँ करते हो ज्यादा बातें

आज............................

होती बड़ी मृदुल कुछ बातें
कर्कश भी होतीं है बातें
प्रेम कराती हैं ,ये बातें
बातें बंद कराती बातें
सहनी पड़ती हैं कुछ बातें
सही नहीं जातीं कुछ बातें
उचे स्वर में होतीं बातें
चुपके-चुपके होतीं बातें

आज...........................

नयनों में जब होतीं बातें
क्या समझोगे ऎसी बातें
हर भाषा में होतीं बातें
कुछ सच्ची कुछ झूठी बातें
हार की बातें जीत की बातें
गीत और संगीत की बातें
ज्ञान और विज्ञान की बातें
हर मौसम पर करते बातें


आज............................

कभी वीरता की हों बातें
क्रोध भरी भी होतीं बातें
डींग हाकती हैं कुछ बातें
डरी और सहमी सी बातें
ध्रणा दर्द पर भी हों बातें
जन्म म्रत्यु पर होती बातें
बंद करो भी ऐसी बातें
अब न सुनी जाती ये बातें

आज.........................

स्वार्थ और परमार्थ की बातें
धनी और निर्धन की बातें
ताकतवर निर्बल की बातें
भूखे प्यासों की भी बातें
सुनने जाते हैं कुछ बातें
सुनकर न सुनते कुछ बातें
कुछ होतीं है ऐसी बातें
कह न कही सकते वे बातें

आज...............................

ममता मयी हैं माँ की बातें
शिक्षा देती गुरु की बातें
अच्छी और बुरी कुछ बातें
है गंभीर बहुत सी बातें
कभी कभी भरमाती बातें
है इतिहास बनाती बातें
युगों युगों तक चलती बातें
कुछ होतीं हैं ऎसी बातें

आज.............................

किसके दम पर इतनी बातें
इस पर भी हो जायें बातें
दिल की धड़कन से हैं बातें
सासों पर निर्भर हैं बातें
जब तक करती हैं ये बातें
तब तक है अपनी भी बातें
अभी बहुत अनकही हैं बातें
सोच समझ कर करना बातें

आज...............................
vikram

सोमवार, 28 जुलाई 2008

पीर को भी प्यार से.....................





कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये


मंजिले ख़ुद ही कहेगी,स्वागतम् हैं आइये


पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये


आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये


हैं नजारे ही नहीं,काफी समझ भी जाइये


देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी चाहिये


बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये


रो रहे मासूम को,रुक कर ज़रा दुलराइये


टूटती उम्मीद पे,हसते हुए बस आइये


अपने पहलू में नई,खुसियां मचलते पाइये


विक्रम

रविवार, 27 जुलाई 2008

इन्हें भूलने.............


सुनो
तन्हाई में

अधरों पर अधर की छुवन
गर्म सासों की तपन

और एक दीर्ध आलिगन का एहसास
होता तो होगा
बीता कल कभी कभी
चंचल भौरे की तरह
मन की कली पर मडराता तो होगा
किसी न किसी शाम
डूबते सूरज को देख
मचलती कलाइयो को छुडा कर
घर की चौखट पर आना याद तो आता होगा
मुझे तो भुला दोगी
पर सच कहना
क्या
इन्हें भूलने का ,मन करता होगा

vikram

शनिवार, 26 जुलाई 2008

कितना कठिन मिलन हैं साथी .........
















कितना कठिन मिलन हैं साथी
रिश्तो का कैसा आडम्बर
जीवन में हैं प्रणय उच्चतर
जग-जीवन के सभी नियंत्रण,तोड़ दिए हैं हमने साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
हम अब सारे भय तज करके
एक-दूजे के लय में बह के
अतुल प्यार से इस जगती में,ला देगे परिवर्तन साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
जीवन के क्याँ जन अधिकारी
चिर-संगी तू बनी हमारी
मनुज नहीं देवो के सन्मुख किया मांग सिंदूरी साथी
vikram