शनिवार, 26 जुलाई 2008

कितना कठिन मिलन हैं साथी .........
















कितना कठिन मिलन हैं साथी
रिश्तो का कैसा आडम्बर
जीवन में हैं प्रणय उच्चतर
जग-जीवन के सभी नियंत्रण,तोड़ दिए हैं हमने साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
हम अब सारे भय तज करके
एक-दूजे के लय में बह के
अतुल प्यार से इस जगती में,ला देगे परिवर्तन साथी
कितना कठिन मिलन हैं साथी
जीवन के क्याँ जन अधिकारी
चिर-संगी तू बनी हमारी
मनुज नहीं देवो के सन्मुख किया मांग सिंदूरी साथी
vikram

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