बुधवार, 18 जून 2008

ओ मधुमास मेरे जीवन के ......


ओ मधुमास मेरे जीवन के

क्यू इतने सकुचे सकुचे हो
शिशिर गया फिर भी सहमे हो

कहा बसंती हवा रह गयी.क्या दिन आये नहीं फाग के

जीवन की इन कलिकाओ में
मेरे मन की आशाओं मे

कब पराग भर पावोगे तुम ,शिशिर-समीरण से बच करके

अधर मेरे अतृप्त बडे हैं
खाली सब मधुकोष पड़े हैं

कौन ले गया छ्ल कर मुझसे मधु-मय पल जीवन के

vikram

रविवार, 15 जून 2008

जीवन जीना ही पडता हैं ............



जीवन जीना ही पड़ता हैं


छल गया कोई, अपना बन के


वह चला गया, सपना बन के


रिश्तो की भूल-भुलैया में, चल कर जीना ही पड़ता हैं


जीवन जीना ही पड़ता हैं


आशा के पंख ,लगा करके


कुछ हद तक सच, झुठला करके


गैरों पे मढ़ कर दोष यहाँ, ख़ुद को छलना भी पड़ता हैं


जीवन जीना ही पड़ता हैं


इस भरी दुपहरी से ,तप के


पल शांत निशा के, पा करके


तृष्णा से उपजे घावों को, सहला कर रोना पड़ता हैं


विक्रम

रविवार, 8 जून 2008

क्या भूलूं क्या याद करूं मॆ.........


क्या भूलूं क्या याद करूं मैं

अब कैसा परिताप करूं मैं


या कोरा संलाप करूं मै

नील गगन का वासी होकर, कहाँ समंदर आज रचूँ मैं

खुशियों की झोली में छुप मैं

पीडा की क्रीडा में रच मैं

कर अनंत की चाह, ह्रदय को पशुवत आज बना बैठा मै


सच का सत्य समझ बैठा मै


अपने को ही खो बैठा मै


बिछुडन के पथ मे क्या ढूढूँ, सपनों की डोली में चढ़ मै


विक्रम

शुक्रवार, 6 जून 2008

वक्त ने दिया शिला..................

छोटे भ्राता के अचानक निधन ,व अपने ग्राम में आयोजित किसान मजदूर सम्मेलन में , व्यस्तता के कारण ब्लॉग लेखन से दूर रहा ।




आज तो बस इतना ही कह सकता हूँ, कि




वक्त ने दिया शिला, कारवां बिछुड़ गया
आँधिया गुजर गयी, बागवां उजड़ गया।


किसान सम्मेलन की कुछ झलाकिया, चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ ।









मैं व मा.अजय सिंह

मेरे द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अथित मध्य प्रदेश काग्रेस चुनाव अभियान समित के अध्यक्ष मा. अजय सिंह राहुल थे । कार्क्रम में म.प.काग्रेस के उपाध्यक्ष विसाहू लाल सिंह व अन्य वरिष्ठ काग्रेसी नेता मॊजूद थे।
विक्रम सिंह


















सभा को सम्बोधित करते माननीय अजय सिंह
















सभा मे उपस्थित जन समुदाय