शनिवार, 22 दिसंबर 2007

पंक्षी क्या...............

पंक्षी क्या पर थके तुम्हारे

थे नीले अम्बर के राही
सबल-सलिल सुख दुःख के ग्राही

वायु वेग से सहम गए क्यूं ,सबल पंख ये आज तुम्हारे

उत्पीडन, निंदा के डर से
या मन मलिन विसर्जित कल से

किस कुंठा से ग्रसित हो गये,सुर शोभित ये कंठ तुम्हारे

आ बीते कल को झुठला दे
जीवन को मिल नई दिशा दे


क्यूं अतीत से घिरे हुए हो,आज चलो तुम साथ हमारे

स्वरचित..................................विक्रम


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