शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007

जब हम कुछ दिन बाद ............

जब हम कुछ दिन बाद मिले थे



मेरी प्रतीक्षा मे तुम रत थे

नयन तेरे कितने विह्वल थे



एक-दूजे को देख हमारे मन, मे कितने दीप जले थे



मै आया जब पास तुम्हारे

कम्पित तन-मन हुये हमारे



अपलक तक नयनो से मुझको ,तुमने कितने प्रश्न किये थे



क्षण भर का एकांत देख कर

वक्ष-स्थल से मेरे लग कर



तेरी उर धड़कन ने मुझसे जीवन के प्रति-क्षण मागे थे



स्वरचित.............................विक्रम