शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2008

अपने पास................

अपने पास उन्हें जब पाऊँ

ऊषा जब प्राची में आये
प्रभा पुष्प सा तन खिल जायें

अपने हमराही के पथ पर,ओस कणों सी मैं झर जाऊँ

सोच रही कोयल बन जाऊँ
अमुआ की डाली में गाऊँ

जब आये बगिया का माली,कूक उसे उर छंद सुनाऊँ

रात चाँद जब नभ में आये
मन में मदहोशी सी छाये

चिर- भूखे भुजपाश उठाये,प्रिय आलिंगन में खो जाऊँ

vikram

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