मंगलवार, 4 मार्च 2008

डूबा सूरज साँझ हों गयी

डूबा सूरज साँझ हों गई

पंक्षी नीडो में जा पहुचे

सुन बच्चो की ची ची चे चे

वे भूले दिन के कष्ट सभी , यह स्वर लहरी सुख धाम दे गयी

डूबा सूरज साँझ हों गयी

जो पंथी राहों में होगे

जल्दी जल्दी चलते होगे

प्रिय जन चिंतित हों जायेगे , यदि पथ में उनको रात हों गयी

डूबा सूरज साँझ हों गयी

हर दिन जब ये पल आता हैं

मन में जगती इक आशा हैं

शायद कोई मुझसे कह दे, घर आओ देखो शाम हों गयी

डूबा सूरज साँझ हों गयी

vikram

2 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत सुंदर और सहज अभिव्यक्ती
हर दिन जब ये पल आता हैं

मन में जगती इक आशा हैं

शायद कोई मुझसे कह घर आओ देखो शाम हों गयी

डूबा सूरज साँझ हों गयी

बेनामी ने कहा…

हर दिन जब ये पल आता हैं

मन में जगती इक आशा हैं

शायद कोई मुझसे कह दे, घर आओ देखो शाम हों गयी

डूबा सूरज साँझ हों गयी

its beautiful very very nice