प्यार को नाम तो सौदाई दिया करता हैं
यह तो बन नूर हर इक दिल में रहा करता हैं
इसको रिश्तो की जजीरो में न बाँधा कीजै
यह वो जज्बा हैं जिसे रूह से समझा कीजै
अश्क बनके भी यह आखों में रहा करता हैं
प्यार को नाम ........................................
यह वो मय हैं जिसे दिल ही में उतारा कीजै
पी भी आखों से पिलाया भी उसी से कीजै
दर्द बनके यह नशा दिल में रहा करता हैं
प्यार को नाम .....................................
तख्तो -ताजो में इसे आप न खोजा कीजै
खून के कतरो मे इसको तो तलाशा कीजै
अपनी कुर्बानी पे यह फक्र किया करता हैं
प्यार को नाम.......................................
विक्रम [८। ७। १९ ९४,की रचना ]
1 टिप्पणी:
इसको रिश्तो की जजीरो में न बाँधा कीजै
यह वो जज्बा हैं जिसे रूह से समझा कीजै
bahut gehri sachhi baat atisundar
एक टिप्पणी भेजें