नही क्षणिक प्रिय ध्येय हमारे
आशा के विस्तृत प्रदेश में
उत्साहित ह्रद भरा जोश में
जीवन समर सरल हों जायें , यदि प्रिय धर लो नेह हमारे
नहीं क्षणिक प्रिय ध्येय हमारे
उर भय ग्रसित न प्रणय हमारे
फिर क्यूँ चिंतित नयन तुम्हारे
कंचन बदन कनक मद लेकर, आई हों मन द्वार हमारे
नहीं क्षणिक प्रिय ध्येय हमारे
चिर आपेक्षित मिलन हमारा
काल-चक्र भी हमसे हारा
जग जीवन के सभी नियंत्रण, तोड़ बढे पग आज हमारे
नहीं क्षणिक प्रिय ध्येय हमारे
vikram
1 टिप्पणी:
आशा के विस्तृत प्रदेश में
उत्साहित ह्रद भरा जोश में
जीवन समर सरल हों जायें , यदि प्रिय धर लो नेह हमारे
bahut sundar
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