जीवन की जब शाम यहां पर आयेगी
आ कितना आराम मुझे दी जायेगी
तन्हाई से लड़ते- लड़ते थक जायेगें
जीवन का यह बोझ नहीं ढो पायेगें
ऐसे में वो चुपके से आ जायेगी
आ...........................................
कोई शिकवे कोई न गिले रह जायेगें
बीते कल के अपने बन सपने आयेगें
इन सपनों से वो दूर मुझे ले जायेगी
आ..............................................
बैरन निदिया भी रोज मुझे तरसाती हैं
रह कर के भी पास नहीं ये आती हैं
उसके आते ही आकर मुझे सुलायेगी
आ......................................................
vikram
1 टिप्पणी:
बैरन निदिया भी रोज मुझे तरसाती हैं
रह कर के भी पास नहीं ये आती हैं
उसके आते ही आकर मुझे सुलायेगी
simply awesome
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